Tuesday 11 July 2017

Carrot Seed Supplier in Delhi

गाजर की उन्नत खेती


गाजर की खेती पुरे भारत मे की जाती है गाजर का रस कैरोटीन का महत्वपूर्ण स्त्रोत माना जाता है। गाजर मे विटामिन जैसे थियामीन एवं राबोफलेविन प्रचुर मात्रा मे पाया जाता है। संतरे नांरगी रंग की गाजर मे कैरोटीन की मात्रा अधिक पाई जाती है।
   
गाजर की खेती के लिये अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिटटी होनी चाहिए। हल्की मिटटी मे जड की वृध्दि अच्छी होती है। भारी मिटटी गाजर की खेती के लिये उपयुक्त नही होती। गाजर शीत ऋतु की फसल है। गाजर बुवाई का समय जुलाई से 25 अक्तूबर होता है गाजर बुवाई 40 सें.मी. के अन्तराल पर बनी मेंड़ों पर 2 से 3 सें.मी. गहराई पर करें और पतली मिट्टी की परत से ढक दें।   जिसके बीज अकुरण के लिये 8 से 20 डिग्री तापमान की आवश्यकता पडती है। जबकि जडो की वृध्दि एवं विकास के लिये 15 से 20 डिग्री तापमान उपयुक्त होती है। अधिक तापमान होने पर जडो गाजर के आकार छोटे, मोटे तथा रस की मात्रा कम हो जाती है।
गाजर की यह किस्म लम्बी, लाल रंग की व जड़ें नुकीली तथा 85 से 95 दिनों में तैयार की जाती है लगभग ढाई से तीन महीनों में गाजर जड़ें निकास के लिए तैयार हो जाती हैं और औसतन 20 से 30 टन प्रति हैक्टर उपज हो जाती है

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