सरसो की उन्नत खेती
भारत की प्रमुख तीन तिलहनी फसलों में सरसो की गिनती होती है। (मूंगफली, सोयाबीन एवं सरसो) सरसों में कम लागत लगाकर अधिक आय प्राप्त की जा सकती है। भारत में प्रमुख रूप से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में सरसों की खेती की जाती है।
यह किस्म सिंचित व असिचित दोनो ही स्थितीयों में खेती के लिए उपयुक्त है। इसमें 40 से 45 दिन में फूल आने लगते है। इस किस्म के पौधों की ऊचाई 155 से 175 से. मी. होती है। इस किस्म में फली आने पर भार के कारण आड़ी पडने की सम्भावना कम होती है यह किस्म 130 से 140 दिन में पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म में फलिया पकने पर दाने झड़ते नही है एवं इसका दाना कालापन लिए भूरे रंग का होता है। इसके दाने मोटे होते है। इस किस्म में सफेद रोली का प्रकोप अन्य किस्मों की अपेक्षा कम होता है यह किस्म पाले के प्रति मध्यम प्रतिरोधी होती है इस किस्म की औसत पैदावार 20 से 25 क्विं. हैक्टयर होती है । इस किस्म में तेल की मात्रा 38 से 42 प्रतिषत होती है।
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